मंगलवार, 25 अक्टूबर 2016

भृंग छंद

भृंग छंद

विधान~[{नगण(111)×6}+पताका],
111 111 111 111 111 111 21,
20 वर्ण,यति 12,8 वर्ण पर,4 चरण
दो-दो चरण समतुकांत।

जगह जगह परिजन अति, समय समय रात।
महल महल बहुत जगह,सुख दुःख अति रात।।
सब पुलिस जज वकील बन, सुख  दुःख सब साथ।
रहुँ अवल सरल सहज रह, मन सरल फुल साथ।।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
उम्र-17वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
मगसम-2608/2016

मनहरण घनाक्षरी छंद

मनहरण घनाक्षरी

शिल्प-8,8,8,7 वर्ण चार चरण।

घर घर की बात हैं,
कहानी में अल्फ़ाज हैं।
सब में कुछ खास हैं,
आदमी अंजान हैं।।1।।

रेडियो से अंजान थे,
ये दौर चल है कुछ।
हम सब में सम्मान,
अपनों में खोये थे।।2।।

जमीन पर चलना,
आसमान से मिलना।
सपनों के पीछे हम,
कभी सोचे नही थे।।3।।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
उम्र-17वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
मो.-8085686829 मगसम-2608/2016

"एक कोशिश एक पहल" जीवन में हमेशा नया करने का  सोच मन में आता हैं।